वो शाम है मेरी

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       ** वो शाम है मेरी** जो परिंदे भटक गए है अपना रास्ता मै उनके लिए एक बसेरा हूं.... यकीन मानो वो शाम है मेरी और मै उसका सवेरा हूं.... चंद पलों में बादल सा छा जाऊ मै वहीं घनघोर अंधेरा हूं..... यकीन मानो वो शाम है मेरी और मै उसका सवेरा हूं.... प्यार करके जन्मो तक निभाऊ मै वही आशिक़ अलबेला हूं.... यकीन मानो वो शाम है मेरी और मै उसका सवेरा हूं.... अपने दोस्तो की नज़रों में शरारती नटखट और थोड़ा कमीना हूं... यकीन मानो वो शाम है मेरी और मै उसका सवेरा हूं... #Romanticquotes #loveforever #lovefeeelings #romance_in_the_air #formycrush #loveonesided

**आखिरी ख्वाहिश**

                     

              सूरज की पहली किरण मेरे चेहरे को स्पर्श कर रही थी, मेरी आंखें खुली लेकीन उठने का मन नहीं था। एक नजरिए से आज का दिन मेरे लिए बहुत खास था वहीं दूसरे नजरिए से मेरे जिंदगी के एक बुरे सपने जैसा था । मै लेटा रहा मै कुछ सोच रहा था सोचते सोचते मै वापस उस दौर में चले गया जिसे बचपन कहते है , सोनू उठो …..बेटा उठो स्कूल का समय हो गया बस आती ही होगी , मां की आवाज सुन के मै उठा ...मेरी दिनचर्या यहीं से शुरू हो गई थी बस के आने का समय हो गया था मै जल्दी से तैयार हुआ मेरा स्कूल बैग तैयार था तभी बस के हॉर्न कि आवाज आयी और मै जल्दी से स्कूल बैग लेकर बाहर गया तो बस बाहर खड़ी मेरा इंतजार कर रही थी और सामने की दो खिड़की छोड़ कर तीसरी खिड़की से मुस्कराता हुआ एक चेहरा मेरा इंतजार कर रहा था । मै गया और जा के उसके पास बैठा तो उसने सवाल पर सवाल शुरू कर दिए ' क्या कर रहे थे इतनी देर तक वो तो अच्छा हुआ की आज बस देरी से आयी' इतना सुन मै मुस्कराया और कहा ठीक है कल से जल्दी उठ जाऊंगा और उसका ध्यान दूसरी तरफ खीचते हुए कहा ' अच्छा आज तुम डब्बे में क्या लाई हो ' उसने मुस्कराते हुए कहा कुछ खाश है तुम्हारे लिए मैंने मां से खास तुम्हारे लिए बनवाया है। मैंने पूछा क्यूं आज क्या है …..इतने में बस धीरे होते हुए रुकी और सब उतरने लगे क्योंकि स्कूल आ गया था , तभी उसने मुस्कराते हुए कहा ' खाना खाने की छुट्टी में बताऊंगी फिर हम अपनी कक्षा में गए लेकिन मै अभी भी यही सोच रहा था कि आज क्या खास है जो मुझे पता नहीं और मृणाल को पता है मै बस खाना खाने की छुट्टी का इंतजार कर रहा था ……...काफी देर इंतज़ार करने के बाद खाना खाने की घंटी बजी और मै जल्दी से मृणाल के साथ डब्बा खाने बैठा उसके साथ उसकी दो सहेलियां भी थी फिर मैंने उससे पूछा कि अब बता भी दो आज क्या खास है। पहले तो वो बस मुस्कराते रही फिर उसने अपना डब्बा मुझे दिया और कहा ' इसे खोल कर देखो भुल्लकड़' मैंने डब्बा खोला तो देखा उसमें मेरे पसंदीदा आलू के पराठे थे और उसके नीचे वाले डब्बे में एक छोटा सा केक जिसमें लिखा था 'हैप्पी बर्थडे डियर सोनू' मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था मुझे समझ नहीं आ रहा था मै उसे क्या कहूं क्योंकि मुझे खुद मेरा जन्मदिन याद नहीं था।
फिर उसने कहा ' अब बस ऐसे ही देखते रहोगे या केक भी काटोगे ' फिर मैंने केक काटा और सबसे पहले एक पीस उसे खिलाया और उसे कहा ' थैंक्यू , तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो' फिर उसने कहा अच्छा अच्छा ठीक है अब अपना डब्बा खोलो जरा हम भी देखे मां ने इसमें क्या खास दिया है फिर मैंने अपना डब्बा खोला तो देखा उसमें भी आलू के फराठे थे और साथ में कुछ बेसन के लड्डू भी , मै बहुत खुश था फिर हमने खुशी खुशी मिल बांट कर खाया और ऐसे ही हंसते खेलते १वर्ष हो गया और फिर हम ५वी कक्षा में चले गए और वो मेरा पहला दिन था नए स्कूल में लेकिन मेरी आंखें तो बस उसे ही ढूंढ रही थी लेकिन ना वो स्कूल बस में थी और ना ही कक्षा में , मैंने कुछ दिन इंतज़ार किया लेकिन उसके बाद भी वो कहीं नहीं दिखी तो एक दिन मैंने उसकी सहेलियों से पूछा तो उन्होंने कहा कि उसके पिताजी का ट्रांसफर हो गया है और अब वो इलाहाबाद में है और अब वहीं पढ़ेगी। मैंने कहा ' वो मुझे बिना बताए चली गई एक बार मिल तो लेना था ' उसकी एक सहेली ने अपने बैग में से एक चिट्ठी निकली और मुझे देते हुए बोली ' मृणाल ने कही थी कि जब सोनू मेरे बारे में पूछे तब उसे ये चिट्ठी दे देना 'मैंने उसी वक़्त वो चिट्ठी लिया और अपने घर आ गया और उसे पढ़ा तो आंखों से आंसू बहने लगे….. उसमे लिखा था ……….मुझे पता है कि जब तुम ये चिट्ठी पढ़ोगे तब तुम अपनी आंखों से बहते आंसुओ को रोक नहीं पाओगे ठीक वैसा ही हाल मेरा भी है लेकिन एक बात है जो मैंने तुमसे कभी नहीं कही लेकिन आज कहती हूं …तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त थे हो और हमेशा रहोगे मै ये सब तुम्हारे सामने नहीं कह सकती थी इसलिए कलम और कागज का सहारा ले रही हूं ।अब मै तुमसे दूर जा रही हूं तो अब तुम्हे बात बात पर डांट भी नहीं सकती तुम्हारे साथ डब्बा भी शेयर नहीं कर सकती लेकिन डब्बा खाने कि छुट्टी में तुम हमेशा याद आओगे बहुत याद करूंगी तुम्हे ……अपना ख्याल रखना और जल्द ही एक कामयाब इंसान बनना क्या पता शायद हम कहीं कभी मिल जाए …….तुम्हारी दोस्त मृणाल ।
         मेरे आंसू रुक ही नहीं रहे थे जैसे तैसे मैंने खुद को संभाला और अपने आंसू पोछे ऐसे ही कुछ दिन मै उदास रहने लगा था तभी एक फोन आता है और मेरी नींद खुलती है , ओह तो ये सपना था मै वापस अपने अतीत में चला गया था । मै उठा और फोन उठाया तो आवाज आई ' सोनू कहां है तुझे पता है ना कि आज मृणाल की शादी है और हमे चलना है ' मैंने दर्दभरे आवाज में कहा ' रोहन मै नहीं आ पाऊंगा मुझे अभी के अभी वाराणसी के लिए निकालना होगा दादी कि तबीयत खराब है ' रोहन कहता है ….तुम्हारे बिना अधूरा सा लगेगा लेकिन तुम घर चले जाओ वहां तुम्हारी जरूरत होगी और घर जाकर दादी कि तबीयत के बारे में खबर करना ।
आज मैंने अपने दोस्त से झूठ बोला था लेकिन उसे कैसे कहता की ये वही मृणाल है मेरे बचपन का प्यार जिसके लिए मै वाराणसी से इलाहाबाद आया था अपनी पढ़ाई पूरी करने के बहाने से लेकिन क्या पता था कि मेरी इतनी कोशिश के बावजूद भी वो कभी मेरी नहीं हो पाएगी मुझे वो हमेशा से कहती थी कि मुझे एक वकील बनना है और वो पढ़ने में भी काफी अच्छी थी और उसके घर वाले भी उसे काफी सराहते थे ।
            मैंने बस इसी से अंदाजा लगा लिया था कि इलाहाबाद के सर्वश्रेष्ठ लॉ कॉलेज में ही वो मिल सकती है काफी कोशिशों के बाद मैंने उसके कॉलेज के पास एक इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया था और काफी कोशिशों के बाद आखिरकार वो मुझे मिल ही गई काफी बदल चुकी थी वो पहले से बहुत खूबसूरत लगने लगी थी लेकिन उसके साथ एक लड़के को देख मेरे पैरो तले जमीन ही खिसक गई थी उसे देख लगा ही नहीं की वो उसका दोस्त हो सकता है फिर भी मुझे यकीन नहीं हुआ , उसके कॉलेज में मेरा हमेशा आना जाना रहता था इस कारण वहां मेरे कुछ अच्छे मित्र बन गए थे तो उनसे पूछने पर पता चला कि वो लड़का उसका ब्वॉयफ्रैंड है और जल्द ही उसकी शादी होनेवाली है उस दिन ऐसा लगा जैसे मै अब तक बस उस रास्ते पर चल रहा था जिसकी कोई मंजिल ही नहीं थी बेवजह जी रहा था मै और आज उसकी शादी है और अब तो बस यही आखिरी ख्वाहिश है कि उसकी आगे की जिंदगी में खुशियां ही खुशियां हो ।
हमेशा ये तो जरूरी नहीं कि हम जिसे चाहे तो वो भी हमे चाहे और दो प्यार करनेवाले हमेशा एक हो ये भी तो जरूरी नहीं मै तो बस कोशिश ही कर सकता था जो कि मैंने किया लेकिन शायद वो मेरी किस्मत में ही नहीं थी। आज एक ख्वाहिश उसे पाने की अधूरी रह गई थी लेकिन अब एक आखिरी ख्वाहिश है कि वो जहां भी रहे बस खुश रहे ।

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