वो शाम है मेरी

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       ** वो शाम है मेरी** जो परिंदे भटक गए है अपना रास्ता मै उनके लिए एक बसेरा हूं.... यकीन मानो वो शाम है मेरी और मै उसका सवेरा हूं.... चंद पलों में बादल सा छा जाऊ मै वहीं घनघोर अंधेरा हूं..... यकीन मानो वो शाम है मेरी और मै उसका सवेरा हूं.... प्यार करके जन्मो तक निभाऊ मै वही आशिक़ अलबेला हूं.... यकीन मानो वो शाम है मेरी और मै उसका सवेरा हूं.... अपने दोस्तो की नज़रों में शरारती नटखट और थोड़ा कमीना हूं... यकीन मानो वो शाम है मेरी और मै उसका सवेरा हूं... #Romanticquotes #loveforever #lovefeeelings #romance_in_the_air #formycrush #loveonesided

*last message (आखिरी संदेश)*

         
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                  *Last message(आखिरी संदेश )*

                 भारत देश समेत पूरी दुनिया उस समय एक महामारी से जूझ रहा था जिसका नाम कोरोनावायरस (कोविड-१९)था ।कोरोनावायरस एक छूने से फैलने वाली बीमारी थी जिसकी उत्पत्ति चीन के वुहान शहर से हुई थी जिसके कारण लोगों की मृत्यु का आंकड़ा थम नहीं रहा था ।
 इसीलिए देश को पूरी तरह लॉकडॉउन किया जा चुका था लोगों को घरों से बाहर निकालने पर पाबंदी देश में हालात काफी बुरे हो चुके थे , लोगों की ज़िंदगी मानो एक कैदी के समान घरों की चार दिवारी में सिमट सी गई थी ।
                 सबसे बुरे हालात देश के महाराष्ट्र राज्य में थी जहां कोरोनावायरस से पीड़ितो की संख्या अन्य राज्यो के मुकाबले ज्यादा थी और मै वहीं औरंगाबाद में एक किराए के घर में अपने दोस्तो के साथ फंसा हुआ था कुछ लोग इस समय का इस्तेमाल कुछ  सीखने मै और कुछ लोग मनोरंजन में कर रहे थे और मैं इन दोनों से अलग अपना समय किसी को याद करने में बर्बाद कर रहा था क्योंकि परिवार के बाद मैंने सबसे ज्यादा उसी इंसान को प्यार किया था ।
                   वैसे मैं अपने बारे में बताऊं तो कुछ खास नहीं है
मेरा जन्म बनारस के पास एक छोटे से गांव सैय्यदराजा में १५मई १९९७ में हुआ था  उसके बाद हम महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिल्हे के माजरी गांव में रहने लगे जहां हमारा खुद का एक घर था और हमारे परिवार में मां पिताजी  दो छोटी बहनें और मैं रहते थे ।मेरी १२वी तक की पढ़ाई वहीं हुई और उसके बाद घर की स्थिति को देखते हुए मैंने आगे की पढ़ाई के साथ साथ काम करने का मन बना लिया और उसके लिए मैंने पिताजी के मना करने के बाद भी औरंगाबाद जाने का फैसला किया ये मेरे लिए बेहद मुश्किल था क्योंकि पहली बार में अपने परिवार से दूर जा रहा था ।
                      आज मुझे औरंगाबाद में दो साल हो रहे है लेकिन इससे पहले मै औरंगाबाद में ही चितेगांव में रहता था वहां १साल काम करने के बाद मुझे पता चला की औरंगाबाद में ही मेरे एक मित्र का मित्र रहता है तो उसकी मदद से मै आज यहां पिछले १साल से वालुज में हूं अब यहां मेरे मित्र भी थे और हम यहां आज इस लाकडाउन के स्थिति में साथ में
एक जेल के कैदी की जिंदगी का अनुभव कर रहे थे मैं तो ज्यादातर खोया ही रहता था सोचता रहता था फिर एक दिन मेरे एक मित्र ने मुझसे पूछ लिया " विशाल , तू अभी भी उसे याद करता है?" थोड़ी खामोशी के बाद मैंने चुप्पी तोड़ी, और कहा इंसान जिससे सबसे ज्यादा मोहब्बत करता है उसे भूलना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि हम ऊर्जा उत्पन्न कर सकते है लेकिन मिटा नहीं सकते वो किसी ना किसी रूप में बनी रहती है वैसे ही हम प्यार को भी भुला नहीं सकते वो कभी ना कभी किसी ना किसी रूप में याद ज़रूर आता है।
                      हां आज भी मै उससे बहुत प्यार करता हूं बस उसे भुलाने की हर मुमकिन कोशिश करता हूं ये बात ज्यादा पुरानी नहीं है, जब मै चीतेगांव से यहां बजाजनगर आया था तब इस ऑटोमोबाइल कंपनी में जगह खाली नहीं थी तब कुछ दिनों के लिए मैंने दूसरी कंपनी में काम किया फिर जगह खाली होने के बाद मैंने वो ऑटोमोबाइल कंपनी में परिचय दिया और चुन लिया गया और वहां के असेंबली शॉप में काम करने लगा फिर यही कुछ एक महीने बाद एक लड़की हमारे शॉप में आयी और मेरे पास की मशीन पर आ के एक गियर चेक करके चली गई कुछ दिन तक ये सिलसिला चलते गया फिर एक दिन उसके जाने के बाद मैंने पास की मशीन के ऑपरेटर को उसके बारे पूछा तो उसने कहा उसका नाम दीपाली है और वो क्वालिटी डिपार्टमेंट में ट्रेनी इंजिनियर है ।
                   यहां तक तो ठीक था कोई फिलिंग्स नहीं थी फिर वो प्रतिदिन आती थी और मै उसे देखता वो बाकी लड़कियों से अलग थी बस अपने काम पर केन्द्रित रहती थी मानो आसपास जैसे कोई भी ना हो बस मै रोज उसे देखने लगा और धीरे धीरे वो मेरे दिल में उतरने लगी फिर मैंने उसका
इंस्टाग्राम आईडी पता कर उसे रिक्वेस्ट सेंड किया लेकिन कुछ दिन बाद उसका कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला फिर मैंने फेसबुक पर भी कोशिश किया लेकिन वहां भी मुझे निराशा ही हाथ लगी। मेरा दिल टूट सा गया था।
                   फिर देखते देखते मार्च से मई का महीना आ गया था इतने दिन तो काफी थे उसके बारे में जानने के लिए
वो लड़की यहीं औरंगाबाद की रहने वाली थी फिर एक दिन मैंने सोच लिया कि १५ मई को उससे बात करूंगा क्योंकि उस दिन मेरा जन्मदिन भी था , उस दिन मैंने उसके लिए एक डेयरी मिल्क लिया और उससे बात करने के लिए में काफी उत्सुक था लेकिन उस दिन भी निराशा हाथ लगी और उस दिन मै ये समझ गया कि कंपनी में तो मै उससे बात नहीं कर सकता क्योंकि उसका डिपार्टमेंट अलग था और वो दिन में बस मुझे तीन बार ही दिखाई देती थी और कंपनी में लगे कैमरे भी एक वजह थे अब मै हर वक़्त बस यही सोचता था कि अब कैसे उससे बात करू ये मेरे लिए एक चुनौती थी क्योंकि मैंने इससे पहले कभी किसी लड़की से बात नहीं किया था।
                    अब मै उससे बात करने के लिए अपनी शिफ्ट भी एक्सचेंज करने लगा था क्योंकि उसकी जनरल ड्यूटी थीं जो कि सुबह ८ बजे से शाम के ५ बजे तक होती थी और मेरी १ली शिफ्ट ६से ३ और दूसरी ३से १२बजे की होती थी और हर सप्ताह मेरी शिफ्ट बदलती थी इसलिए अब मै हमेशा १ली शिफ्ट में ही ड्यूटी जाता था अब धीरे धीरे सबकुछ बदलने लगा था अब मै खुद पर ध्यान देने लगा था ।
                    वो लड़की बेहद खूबसूरत थी मुझे पता था कि वो मेरे प्यार को ठुकरा देगी फिर भी अब उसके बिना जीना मुश्किल हो गया था अब मै समझ गया था कि अब कंपनी के बाहर ही वो मुझे अकेले मिलेगी जहां मै उसे अपने दिल की बताऊंगा ।  अब हर रोज मै शाम के ५बजे वापस आकर कंपनी के बाहर वाली चाय की दुकान पर उसका इंतज़ार करने लगा वो बाहर आती थी और स्कूटी से घर चली जाती थीं और मै उसे देखता लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाता था ऐसे ही १सप्ताह हुए मै रोज ३बजे घर जा के वापस ५ बजे कंपनी जाता था घर से कंपनी चल के जाने में लगभग १० मिनट लगते थे कभी कभी तो मै देरी से पहुंचता था तब तक वो जा चुकी होती थी फिर एक दिन काफी हिम्मत जुटा के मै कंपनी के बाहर खड़ा था फिर ठीक ५:१० पर वो बाहर आई और अपनी स्कूटी के पास गई और उसे देख मै उसके पास गया उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने हिचकिचाते हुए कहा " हाय दीपाली " उसने झट से कहा आप कौन हो, मै घबराया "मै विशाल,असेम्बली में काम करता हूं " उसने कहा ' तो मै क्या करू ' मैंने उसे कहा कि मै तुमसे दोस्ती करना चाहता हूं तो उसने मुस्कराते हुए कहा ' मेरे बहुत सारे दोस्त है ' मैंने कहा हो सकता है लेकिन मुझे भी दोस्त बना लो उसने नहीं कहा और मुझे स्कूटी के सामने से हटने के लिए बोल के स्कूटी स्टार्ट करने लगी तो मैंने उसे कहा कि देखो तुम्हे इंस्टाग्राम पर फ्रैंड रिक्वेस्ट आ के है हो सके तो कबूल कर लेना बस तभी हमारी कंपनी का एक कर्मचारी वहां आया और उसने दीपाली से पूछा कि क्या बात है कोई परेशानी है क्या उसने कहा कुछ नहीं और फिर वो चली गई और मै भी निराश होकर घर चला गया।
                  अब अगले दिन कंपनी मे उसने मुझे देखा और काफी गौर से देखने लगी और धीरे धीरे उसकी सहेलियों ने भी मुझे देखा मै समझ गया था कि उसने अपनी सहेलियों को ये बात बता दी है फिर मै कुछ दिन शांत रहा फिर एक दिन शाम के ५:३० बजे वो मुझे चौक पर दिखी वो एक एटीएम के पास रुकी और अन्दर गई मैंने सोचा आज एक और कोशिश कर लेते है और मै एटीएम के बाहर इंतज़ार करने लगा शायद उस एटीएम में पैसे नहीं थे फिर थोड़ी देर बाद वो बाहर आई और उसने मुझे देखा फिर मै उसके पास गया और उससे कहा 'क्या हुआ कोई समस्या है क्या' उसने कहा नहीं कोई समस्या नहीं है फिर मैंने कहा मुझे बस तुमसे दोस्ती करनी है तो उसने मना किया तो मैंने उससे कारण पूछा तो उसने कहा बस ऐसे ही मैंने उससे कहा कि कोई परेशानी है क्या तो उसने कहा कि कोई परेशानी नहीं है लेकिन मुझे दोस्ती नहीं करना है फिर वो जाने लगी तो मैंने कहा ठीक है फिर मै तुम्हारा इंतज़ार करूंगा इसके बाद रोज कंपनी में उसे बस देखता और कभी कभी नजरअंदाज भी कर देता ये सोच के की उसे भूल जाना ही मेरे लिए अच्छा है लेकिन उसके इनकार ने मेरे दिल में उसके लिए और प्रेम भर दिया था ।
                   अब तो मुझे हर बार की तरह १ली शिफ्ट मिलना बंद हो गई अब मुझे अपने शिफ्टनुसार ड्यूटी जाना पड़ता था फिर भी कहते है ना कि प्यार अंधा होता है, ये बात मुझपर बखूबी जमती थी अब मै २री शिफ्ट करके रात १२बजे घर आता था और नींद आते आते कभी २ कभी ३बज जाते थे फिर भी मै सुबह उठ के ८ बजे उसे देखने के लिए कंपनी के रस्ते से टहलने के लिए जाने लगा मेरे कंपनी के दोस्त भी अब मुझसे पूछने लगे थे कि भाई किसके चक्कर में रोज चक्कर काटे जा रहे है और धीरे धीरे सभी को पता चल गया और मै भी इससे इंकार नहीं करता था एक दिन मैंने दीपाली के लिए कुछ कविताएं लिखी और सोचा की शायद वो इन कविताओं के जरिए मेरी भावनाओ को समझेगी और फिर हिम्मत जुटा के एक दिन कंपनी के बाहर मै उसका इंतज़ार कर रहा था लेकिन ५:३० बजे तक भी वो बाहर नहीं आई शायद उस दिन वो ओटी कर रही थी फिर मैंने और इंतज़ार किया फिर १घंटे बाद ६:३० बजे वो बाहर आई लेकिन ये वो समय था जब कंपनी के ज्यादातर लोग बाहर गेट पर अपनी बस का इंतज़ार करते थे लेकिन उस दिन मैंने सोच लिया था कि अब इतना इंतज़ार करने के बाद मै पीछे नहीं हट सकता मै रोड पार कर उसके पास गया उसने मुझे देखा और झट से दूसरी तरफ पलट गई फिर मैंने लोगो के तरफ देखा तो सभी मेरी ओर ही देख रहे थे मै समझ गया कि इस समय उससे बात करूंगा तो वो भी गुस्सा करेगी और लोग तो है ही मौके की तलाश में मेरी अच्छी खासी पिटाई हो जाएगी और उसकी और मेरी बदनामी भी तो मैंने दूर से ही दूसरी तरफ मुंह करके उसे कहा कि मै सामने तुम्हारा इंतज़ार करूंगा और मै वहां से सामने चला गया फिर वो भी बिना रुके घर चली गई।
                        कुछ दिन बाद फिर से बाहर मै उसका इंतज़ार कर रहा था ठीक ५:२० पर वो बाहर आई फिर मै उसके  पास गया तो उसने कहा कि यहां कैमरा लगे है तो मैंने उसे कहा कि मुझे पता है लेकिन क्या करे और कहीं तुम मिलती ही नहीं हो बस तुमसे कुछ बाते करनी है उसने मेरे हाथ में कागज देख के मुझसे पूछ लिया ये क्या है तो मैंने उसे कहा ये कुछ कविताएं है मैंने तुम्हारे लिए लिखी है तो उसने कहा मुझे कविताएं अच्छी नहीं लगती है लेकिन मै निराश नहीं हुआ क्योंकि उसने उस दिन वो काफी अच्छे से और प्यार से मेरी बात सुन रही थी तो मैंने उसे समझाया की वो मुझे बहुत अच्छी लगती है तो उसने पूछा क्यूं तो मै थोड़ा रुका और कहा कि अब कैसे बताऊं तुम बाकी लड़कियों से अलग हो अच्छी हो इसलिए फिर वो जाने लगी तो मैंने कहा ठीक है कल यहीं मिलेगे और अगले दिन भी मै उसका इंतज़ार कर रहा था और उसके आने के बाद उसकी तरफ बढ़ा तो पास में ही एक श्रीमान अपनी गाड़ी निकाल रहे थे उन्होंने मुझे देखा और उसे देखा और चले गए फिर मै उसके पास गया और उससे बात करने की कोशिश की तो उसने काफी गुस्से में मुझे कहा की मुझे नहीं करनी है दोस्ती तुम्हे समझ नहीं आता है क्या, इतना सुनने के बाद मुझे बहुत बुरा लगा मै सिर नीचे करके खड़ा रहा और वो चली गई उस दिन मुझे लगा कि मै एक बहुत ही बुरा इंसान बन गया हूं जो कि अब एक लड़की को परेशान करने लगा है उसके बाद मैंने उसे नजरअंदाज करना शुरू कर दिया।
                         अब समय बीतने लगा था और नवंबर का महीना आ गया था रोज की तरह मै ड्यूटी जाता और घर आ जाता था अब पहले जैसे मैं उसे देखने के लिए नहीं जाता था लेकिन मेरे दिल में अभी भी उसके लिए प्यार बेशुमार था फिर एक दिन मैंने सोचा कि शायद वो लोगों के सामने बात करने में हिचकिचाती होगी लोग क्या कहेंगे ये सोचती होगी इसलिए मैंने ये फैसला किया कि अब उसे मोबाइल फोन के जरिए संपर्क करूंगा और इसके लिए मुझे उसके फोन नंबर की जरूरत थी लेकिन मै किसी की मदद नहीं लेना चाहता था और मुझे ये भी पता था कि वो खुद मुझे नंबर नहीं देगी।
                          अब वो समय आ गया था कि मै अपने कौशल का उपयोग करू इसके लिए मैंने उसकी fb I'd खोज कर उसके पासवर्ड का अनुमान लगाया क्योंकि इतने दिनों में मै उसे समझ चुका था तो मैंने दो बार में उसका पासवर्ड का अनुमान लगा के उसकी आईडी खोल लिया लेकिन मुझे उसका फोन नंबर नहीं मिला क्योंकि उसने अपनी आईडी Gmail से बनाई थी तो वहां से मुझे उसकी Gmail I'd मिली
फिर मैंने खुद को उसकी id se मित्र अनुरोध भेजा और id se बाहर आ गया।
                             मेरे पास अब उसकी Gmail I'D थी
और मै fb पर उसका दोस्त था फिर एक दिन मैंने सोचा एक पत्र लिख के उसे Gmail पर भेज देता हूं फिर मैंने उसे अपनी सारी बाते जो मैं उसे कहना चाहता था और मेरी कविताएं उसे लिख के जीमेल पर भेज दिया और साथ में ये भी लिखा कि ये मत पूछना कि मुझे ये जीमेल कहा से मिला , मै तुमसे झूठ नहीं कह पाऊंगा क्योंकि मै तुमसे प्रेम करता हूं इसके बाद अगले दिन उसका जवाब आया कि मेरी मंगनी हो गई है मुझे परेशान मत करो , मुझे पता था कि वो झूठ बोल रही है मैंने उससे कहा कि तुम्हे तो झूठ बोलने भी नहीं आता और गुस्सा करने भी नहीं आता है ठीक है यही बात तुम अगर मेरे सामने मेरी आखों में देखते हुए कहोगी तो मै मान जाऊंगा ये वादा रहा फिर उसका जवाब आया ' सामने नहीं लेकिन ये सच है ' मै उसकी आंखों में सच देखना चाहता था इसलिए मैंने उसे कहा दिया की मै नहीं मानता ।
                          अगले दिन कंपनी में वो मुझे गुस्से से देख रही थी फिर ऐसे ही कुछ दिन बीत गए और फिर मुझे १५दिनों के लिए घर जाना था तो मुझे छुट्टी भी मिल गई और मै घर चला गया उन १५ दिनों में मै उसे हर पल याद करता था लेकिन मै उससे बात भी नहीं कर सकता था क्योंकि मुझे पता था कि उसका जवाब नहीं आएगा फिर १५ दिन बाद मै वापस औरंगाबाद आया और ड्यूटी गया मेरी १ली शिफ्ट थी सवेरे के ६:१० हो रहे थे मै कंपनी के गेट पर पहुंचा तो वो भी उस दिन १ली शिफ्ट में आई थी उसने मुझे देखा और शायद कुछ सोच रही थी क्योंकि १५दिन बाद मै उसे कंपनी में दिखा था फिर वैसे ही देखते देखते दिन बीतते चले गए और दिसंबर का आखिरी दिन भी खत्म हो चला था और सभी नव वर्ष के स्वागत के लिए इंतज़ार कर रहे थे मै भी १२बजे का इंतज़ार कर रहा था और ठीक १२:०१पर मैंने उसे नव वर्ष की शुभकामनाओ वाला संदेश मेल किया लेकिन एक दिन बाद भी उसका जवाब नहीं आया मुझे बहुत बुरा लगा भला इतनी भी क्या नफरत मैंने तो बस उसे प्यार किया था बस उसका जवाब सुनना चाहता था भले वो मुझसे प्यार ना करती हो लेकिन एक बार बस उसके दिल की बात सुनना चाहता था ।
                        अब बस दो महीने बाकी थे मेरे पास क्योंकि वो फरवरी में जानेवाली थी उसकी ट्रेनिंग फरवरी में पूरी होनेवाली थी और समय के साथ साथ फरवरी महीना आया जिसमें ४फरवरी को उसका जन्मदिन दिन था और उस दिन २फरवरी था मेरे पास पैसे खत्म हो गए थे और मुझे उसके लिए एक तोहफा लेना था वो दिन उसके लिए बहुत खास था और मेरे लिए भी क्योंकि वो मेरी ज़िन्दगी का हिस्सा बन चुकी थी उसने अभी तक जो भी किया उससे मेरे दिल में उसके प्रति और प्यार बढ़ चुका था मै उससे शादी के ख्वाब देखने लगा था ।
                       उसके जन्मदिन के लिए मैंने अपने एक मित्र से कुछ पैसे उधार लिए और उसके लिए एक ब्रेसलेट ऑर्डर किया और वो ठीक ३फरवरी को मुझ तक पहुंच गया फिर मैंने उसको पैक कराया और साथ में एक ग्रीटिंग कार्ड भी लेना था लेकिन मेरे पास अब पैसे नहीं बचे थे और मै दोबारा अपने मित्र को  पैसे नहीं मांग सकता था फिर मैंने सोचा कोई बात नहीं गिफ्ट ही दे देंगे । ४फरवरी के दिन मेरी २री शिफ्ट थी लेकिन उस दिन मै १२:३० बजे ही कंपनी चले गया और २रे मंजिल पर कैंटीन था उसके बाजू में हमारा ट्रेनिंग सेंटर था जहां हमें कभी कभी ट्रेनिंग दी जाती थी मेरा काम ३ बजे से शुरू होने वाला था इसलिए मै ट्रेनिंग रूम में जा के बैठ गया वहां से शीशे के बाहर कैंटीन का नजारा दिखाई देता था तो मैंने देखा वो उस समय वहां खाना खा रही थी उसने भी मुझे देखा उस दिन वो हल्के गुलाबी रंग की ड्रेस पहन के आयि थी बेहद खूबसूरत लग रही थी , उसके साथ उसकी सहेलियां भी थी इसलिए मै सोचता रहा कि अब कैसे उसे जन्मदिन की बधाई दी जाए इंतज़ार करते करते २बज गए फिर मैं नीचे पानी पीने गया ये सोच के की वो कहीं सीढ़ियों पर मिलेगी तो मै उससे बात करूंगा लेकिन वो नहीं मिली फिर कुछ देर बाद २:३० बजे मै फिर से नीचे पानी पीने गया तो नीचे से दीपाली और उसकी सहेलियां उपर १ली मंजिल पर जा रही थी मैं रुका वो भी मुझे देख थोड़ी रुकी और जाने लगी तो मैंने उसे कहा '। सुनो, happy birthday उसने मेरी तरफ देखा और धन्यवाद कहते हुए जाने लगी मै वहीं थोड़ा रुका और काफी सोचा की उसे गिफ्ट दे दी लेकिन उसकी सहेलियों को देख कर मेरी हिम्मत नहीं हुई और मै भी चला गया ।
                    मेरा काम का समय हो गया था ३बज चुके थे फिर देखते देखते ४ बजे और चाय के आने का समय हो गया मै चाय पीता था लेकिन वहीं असेम्बली में बैठा रहता था क्योंकि इस समय वो उपर १ली मंजिल पर अपने कक्ष में जाती थी फिर हर रोज की तरह वो उपर जाते हुए दिखी मैंने भी झट से अपने बैग से गिफ्ट निकाला और अपने पैंट कि जेब में रखकर उपर गया उसने सीढ़ी चढ़ते हुए मुझे देखा और अपनी चाल धीरे कर ली फिर मै उसके पास गया और कहा ' sorry दिपाली  भुल गया मैंने तुम्हारे लिए गिफ्ट लाया है और उसे देने के  लिए गिफ्ट आगे बढ़ाया उसने देखा और कहा मुझे नहीं चाहिए गिफ्ट और फिर जाने लगी मैंने उसे कहा कि plz प्यार से लाया हूं तुम्हारे लिए फिर भी वो चली गई ।
                    कुछ दिन बाद कंपनी में शाम के ६बजे मै २री शिफ्ट मै काम कर रहा था तो मुझे एक sir ने अपने कक्ष में बुलाया और मुझसे मेरा नाम और पता पूछने मैंने बताया तो उन्होंने कहा कि अपने काम पर ध्यान दो लोगो को परेशान करना छोड़ दो मै समझ गया था कि उन्हें भी पता चल गया तो मैंने उनसे कहा कि  सीधे सीधे बोलिए आप किसकी बात कर रहे है फिर उन्होंने बताया कि मुझे पता है तुम्हारे बारे में मैंने बाहर देखा है तुम्हे उससे बात करते हुए  मैंने उनसे कहा कि मै उसे परेशान नहीं कर रहा हूं बस उससे प्यार करता हूं और उससे जानना चाहता हूं कि वो क्या सोचती है तो उन्होंने कहा ठीक है लेकिन कंपनी के बाहर करो यहां ये सब नहीं चलेगा मैंने कहा ठीक है लेकिन आपको इसकी फिक्र करने की जरूरत नहीं है ।
                     रोज की तरह मै कंपनी जाता और घर आकर खाना बनाता और खा के सो जाता बस ऐसे ही चलता गया और देखते देखते वो दिन आ गया १९ फरवरी, उसका कंपनी में आखिरी दिन था उस दिन मैंने उसे आखिरी बार देखा था लेकिन कुछ नहीं कह सका और वो चली गई फिर कुछ दिन कंपनी में मुझे उसकी कमी महसूस होने लगी लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकता था अब मेरे पास बस उसका जीमेल आईडी था फिर एक दिन रात के १०बजे मैंने उसे मेल किया कि तुम जीत गई मै हार गया तुम्हारी नफरत जीत गई और मेरा प्यार हार गया लेकिन मुझसे इतनी नफरत क्यों बस प्यार ही तो किया था लेकिन कोई बात नहीं अब तो तुम कभी मिलोगी भी नहीं अब तो बता दो की मुझसे प्यार करती हो या नहीं उसने जवाब में कहा कि मैंने तुम्हे बहुत झेला है मुझे ये सुनकर थोड़ा  गुस्सा आया और मैंने उसे गुस्से में कहा कि मुझे बस मेरा जवाब चाहिए कि प्यार करती हो या नहीं उसने जवाब में कहा मेरे दिल में तुम्हारे लिए कोई अहसास नहीं है और अब मुझे कभी मेल मत करना मैंने कहा बस इतनी सी बात थी बस इतना ही सुनना था मुझे यही अगर पहले कह देती तो आज तुमसे इतना प्यार ना होता ठीक है अब मेल नहीं करूंगा ।
उस दिन मैं पूरी तरह हार गया था सब कुछ शीशे कि तरह साफ हो गया था अब कोई सवाल बाकी नहीं था।
                     कहते है सच्चा प्यार करने वालो का भगवान भी साथ देते है तो शायद मेरा प्यार सच्चा नहीं था और अच्छे लोगो के साथ हमेशा अच्छा होता है तो शायद मै भी अच्छा नहीं हूं हां मानता हूं मैंने उसे पाने के लिए कुछ ग़लत काम किए थे लेकिन मैंने कभी किसी के साथ गलत नहीं किया और मेरे अधीन में तो उसका fb I'd था फीर भी मैंने उसे बस एक ही बार इस्तेमाल किया जिससे उसका जीमेल आईडी मिला ।
अब मै बस दो काम कर सकता था एक तो उसे याद करके उसकी यादों के सहारे जिंदगी बिताऊ या फिर जीवन में कुछ ऐसा कर दिखाऊ जिससे कि मेरा नाम हो और जिस दिन वो मेरा नाम सुने तो वो सोचने पर मजबुर हो जाए कि उसने क्या खोया है ।
                     किसी से प्यार करना बड़ी बात नहीं है लेकिन प्यार निभाना ये बड़ी बात है ,लड़की एक मौका नहीं जिम्मेदारी है और ये जरूरी नहीं कि प्यार के बदले प्यार ही मिले क्योंकि जो होता है वो अच्छे के लिए होता है क्योंकि वो मुझे इनकार ना करती तो आज मै ये कहानी ना लिख रहा होता हां वो आज भी मुझे याद आती है लेकिन उसकी नफरत ने मेरे हाथ में कलम थमा दिया है और अब इस कलम से मै अपना भविष्य लिखूंगा .…....


                                             To be continued...

        आज पूरे ४ साल हो गए है, इन ४ सालो में हमेशा से एक guilt रहा है मुझे की क्यूं मैंने आखरी बार बदतमीजी से बात की थी , क्योंकि प्यार थी वो मेरा उसे hurt नहीं करना चाहता था हमेशा से भगवान से यही दुआ करता था की एक बार उससे मिला दे ताकि मैं उसे sorry बोल सकूं अपनी बदतमीजी के लिए और ४ साल बाद भगवान ने मेरी दुआ कबूल की है। आज मैं मुंबई में नौकरी कर रहा हूं। मुंबई पोर्ट ट्रस्ट में एक फायरमैन हूं, और हमेशा की तरह आज भी मैं कभी कभी उसे सोशल मीडिया पर सर्च कर लेता हु आज linkedin पर सर्च किया उसे तो काफी खोजने के बाद वो मुझे मिली ...कोई प्रोफाइल फोटो नही थी लेकिन सारे जॉब experiance देखने के बाद मैं sure था की वही है।
             

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